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भोजनालय जो आपको स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजन परोसते हैं, जिन्हें भारत में ढाबा कहा जाता है। लेकिन यह गुमनाम रूप से अपनी वैश्विक पहचान बनाने में असफल रहा है। शहरी सोच उन्हें नीची नजर से देखती है और उसे रेस्टोरेंट की तरह महत्व नहीं देती। लेकिन उन्हें सड़क किनारे बने इस ढाबे की अहमियत नहीं पता कि यह रोज कितने लोगों की भूख पूरी करता है. लेकिन सड़क किनारे बने ये ढाबे वहां से गुजरने वाले यात्रियों को स्थानीय खाना परोसते हैं और उनके खाने की जरूरत को पूरा करते हैं. यह मानना सच है कि वहां काम करने वाले मजदूरों के कपड़े शहर के रेस्टोरेंट में काम करने वाले मजदूरों से थोड़े कम होते हैं. यही कारण भी है कि ये सभी ढाबे ग्राहक को इतनी ऊंची कीमत पर खाना नहीं परोसते हैं क्योंकि शहर के रेस्टोरेंट में ऊंचे दाम पर खाना मिल जाता है. जिससे इन ढाबों की कमाई कम हो जाती है और तदनुसार इन ढाबों में काम करने वाले कर्मचारियों को कम वेतन भी मिलता है, जो उनके पहनावे को दर्शाता है। लेकिन अगर आप भोजन की गुणवत्ता और मात्रा की तुलना अन्य रेस्तरां से करते हैं, तो आशा है कि ये ढाबा निश्चित रूप से सभी के लिए उच्च स्तर की गुणवत्ता और स्वादिष्ट भोजन परोसता है।
लेकिन समय के साथ बदलाव आ रहा है और ये सभी ढाबे भी अपने लजीज खाने और मेहमाननवाजी से आपको गले लगा लेंगे। #dhaba #roadsidedhaba #apnadhaba #रोडसाइडढाबा #ढाबा
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